पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने के लिए एनयूजे प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मिला

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प्रेस विज्ञप्ति

पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने के लिए एनयूजे प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मिला

मीडिया कमीशन और मीडिया काउंसिल के गठन की भी मांग

नई दिल्ली। नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) ने राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी को पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने, मीडिया कमीशन व मीडिया काउंसिल के गठन और पत्रकारों की अन्य समस्याओं को लेकर एक ज्ञापन सौंपा। एनयूजे के अध्यक्ष रास बिहारी की अगुवाई में आठ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति से मुलाकात की। राष्ट्रपति ने प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों से भारत में पत्रकारों की तमाम समस्याओं पर चर्चा भी की।

प्रतिनिधिमंडल में एनयूजे के पूर्व अध्यक्ष डा.नंदकिशोर त्रिखा, कोषाध्यक्ष दधिबल यादव, प्रेस एसोसिएशन के सचिव मनोज वर्मा,दिल्ली जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल पांडे, महासचिव आनंद राणा, एनयूजे कार्यकारिणी सदस्य प्रमोद मजूमदार और सुश्री सीमा किरण शामिल थे। एनयूजे अध्यक्ष रास बिहारी ने राष्ट्रपति को जानकारी दी कि संगठन पिछले पांच साल से लगातार हर साल संसद पर प्रदर्शन कर पत्रकार सुरक्षा कानून, मीडिया काउंसिल और मीडिया कमीशन के गठन की मांग कर रहा है। पिछले 7 दिसंबर को दो हजार से ज्यादा पत्रकारों ने संसद का घेराव किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बारे में ज्ञापन सौंपा। उन्होंने बताया कि अपनी मांग को एनयूजे की 22 राज्य इकाइयों ने 100 से ज्यादा जिलों में प्रदर्शन किया। राज्यों के राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों को भी ज्ञापन दिए गए। जिलों में जिला अधिकारियों के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन दिया गया।

एनयूजे प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति को बताया कि दिल्ली के पटियाला हाउस अदालत में पत्रकारों पर हुए हमले और अन्य स्थानों पर मीडिया कवरेज के दौरान हुईं हमलों की घटनाओं को पत्रकार सुरक्षा कानून बनाकर रोका जा सकता है। कानून बनने से मीडियाकर्मियों पर हमला करने वालों के खिलाफ तेजी से कार्रवाई होगी। कानून बनने से मीडियाकर्मी स्वतंत्र, निर्भीकता और निष्पक्ष तरीके से बेहतर काम कर सकेंगे।

एनयूजे के पूर्व अध्यक्ष डा.त्रिखा ने राष्ट्रपति को जानकारी दी कि आज मीडिया पर सवाल उठाये जा रहे हैं। लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। मीडिया पर उठते सवालों के हल के लिए मीडिया कमीशन और मीडिया काउंसिल के गठन की आवश्यकता है। अभी तक देश में दो प्रेस कमीशन बने हैं। दूसरे प्रेस कमीशन ने 1982 में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। उसके बाद मीडिया का पूरा स्वरूप ही बदल गया है। मीडिया की मौजूदा हालत के अध्ययन और समस्याओं को जानने के लिए मीडिया कमीशन के गठन की बहुत जरूरत है।