डिजिटल मीडिया में घटती विश्वसनीयता(Detail Page)

डिजिटल मीडिया में घटती विश्वसनीयता

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डिजिटल मीडिया में घटती विश्वसनीयता रासबिहारी भारत में मीडिया के विस्तार के साथ ही चुनौतियां लगातार बढ़ती रही है। डिजिटल मीडिया के बढ़ते असर के बाद मीडिया की नैतिकता पर भी सवाल उठ रहे हैं। निष्पक्षता, पारदर्शिता, नैतिकता और विश्वसनीयता की घटती साख के कारण मीडिया सवालों के घेरे में हैं। विश्वसनीयता का यह संकट पहले कभी इतना नहीं रहा। भारत की मीडिया प्रारम्भ से ही चुनौतियों का सामना किया और आगे बढ़ती रही है। यह पहली बार हो रहा है कि बढ़ते संकट के बावजूद उससे निकलने का कोई रास्ता निकालने की पहल नहीं हो रही है। मीडिया में काम करने वाले मुनाफा कमाने वाले प्रबंधकों के आगे विवश हैं। ऐसे में संपादक नाम की संस्था पूरी तरह तहस-नहस होती जा रही है। देश में मीडिया की घटती साख को बार-बार चुनौती दी जा रही है। मीडिया और राजनीति का एक वर्ग देश में अघोषित एमरजेंसी का आरोप लगा रहा है। वो भी तब जब देश में 800 से ज्यादा निजी चैनल हैं। इनमें आधे से ज्यादा खबरियां चैनल है। प्रिंट मीडिया और इलैक्ट्रानिक मीडिया के साथ ही डिजिटल मीडिया का तेजी से विस्तार हो रहा है। देश में मार्च 2017 तक 1,14,820 प्रकाशन रजिस्टर्ड थे। रजिस्टर्ड किए गए प्रकाशनों में 3.58 फीसदी की बढ़ोतरी बताई गई है। साफ है कि इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया की बढ़ती लोकप्रियता का प्रिंट मीडिया की बढ़त पर कोई असर नहीं पड़ा है। 10 वर्षों में प्रिंट मीडिया के समाचार पत्रों की 2 करोड़ 37 लाख प्रतियां बढ़ी हैं। अखबारों का लगातार विस्तार हो रहा है। दस साल में 251 नई जगहों से अखबार निकाले गए। प्रकाशन केंद्रों की संख्या भी 659 से बढ़कर 910 हो गई है। ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशन (एबीसी) के अनुसार प्रिंट मीडिया की प्रसार संख्या में 37 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। प्रिंट मीडिया के क्षेत्र में करीब 5000 करोड़ का निवेश हुआ है। अखबारों की बिक्री में सर्वाधिक बढ़ोतरी उत्तर भारत में हुई है। जाहिर है हिन्दी अखबारों का दबदबा बढ़ा है। देश में सबसे ज्यादा हिन्दी 46587 रोजाना निकलते हैं। दूसरे नंबर अंग्रेजी के अखबार है। इनकी संख्या है, 14365। सबसे ज्यादा अखबार उत्तर प्रदेश में छपते हैं। इनकी संख्या है 17736। अखबारों के मामले में दूसरे नंबर महाराष्ट्र का है। महाराष्ट्र में 15,673 रोजाना छपते हैं। एबीसी के आंकडे बताते हैं कि प्रिंट मीडिया के क्षेत्र में 2021 तक 7.3 फीसदी चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) की दर बढ़ोतरी के साथ 431 अरब रुपये तक पहुंच सकती है। यह माना जा रहा है कि पूरी मीडिया इंडस्ट्री 2419 अरब तक पहुंच सकती है। विज्ञापन रेवेन्यू भी 2021 तक बढ़कर 296 अरब तक पहुंचने की उम्मीद जताई गई है। प्राइसवाटरहाउसकूपर्स की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 2017-21 के बीच वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) 10.5 फीसदी होगी। टीवी की हिस्सेदारी 2016 में 21,874 करोड़ रुपये थी, जो 2021 में 37,315 करोड़ रुपए होगी। देश में प्रकाशन कारोबार साल 2016 में 38,601 करोड़ रुपए था जो साल 2021 तक 44,319 करोड़ तक पहुंच जाएगा। इसकी वार्षिक वृद्धि दर 3.1 फीसदी होगी। मीडिया में निष्पक्षता को लेकर बार-बार सवाल उठते हैं। जाहिर है जब निष्पक्षता ही नहीं होगी तो स्वतंत्रता, विश्वसनीयता, नैतिकता, सत्यता और पारदर्शिता नहीं होगी। मीडिया की साख पर उठते सवालों की एक बड़ी वजह डिजिटल मीडिया का विस्तार भी है। पहले अखबारों के पाठकों की संख्या इलाके तक ही सीमित होती थी। हिन्दी का कोई अखबार अगर प्रदेश की राजधानी में छपता है तो उसकी किसी खबर की चर्चा होती थी। आज अखबारों की वेबसाइट पर एक खबर आते ही चर्चा हो जाती है। डिजिटल मीडिया में खबर पर विवाद मचते ही उसे हटाने की सुविधा है। अखबारों और चैनलों में बिना जांचे-परखे खबरों में आगे रहने की होड ने भी साख पर संकट बढ़ा दिया है। यह सब हो रहा है कि संपादक नाम की संस्था के पतन के कारण। इसकी एक बड़ी वजह है कि मीडिया में कारपोरेट और राजनीति का बढ़ता दखल है। कई राज्यों में राजनीतिक दलों के अखबार निकल रहे हैं तो उनमें निष्पक्षता तो हो ही नहीं सकती है। इसी कारण आज पत्रकारिता का छात्र ही नहीं बड़े-बड़े पत्रकार भी यह नहीं बता पाते हैं कि किस अखबार में कौन संपादक है। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के सदस्यों को ही नहीं पता होता है किस अखबार में कौन संपादक है। अब अगर ऐसी हालत है तो यह साफ हो जाता है मीडिया के किसके नियंत्रण में हैं। यही वजह है कि आज हर कोई मीडिया की साख पर सवाल उठा रहा है। साथ ही यह सोचने की बात है कि जिस का धन मीडिया में लगाया जा रहा है, उससे मीडिया की विश्वसनीयता और निष्पक्षता गी समाप्त हो जाएगी तो नैतिकता की बात कौन करेगा। आज अखबारों और चैनलों के कितने मालिक जेलों में हैं। इससे यह तो साबित हो ही रहा है कि ये लोग नैतिकता लेकर मीडिया के धंधे में नहीं आए, बल्कि अपने हितों को फायदे के लिए मीडिया का दुरुपयोग कर रहे है। देश के बड़े-बड़े नेता मीडिया को आत्मावलोकन करने की सलाह पिछले लंबे समय से देते आ रहे हैं। हमारे देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत तमाम नेता बार-बार मीडिया को स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से काम करने की नसीहत देते रहे हैं। हमारे देश के बड़े-बड़े पत्रकार भी संगोष्ठियों, टीवी चैनलों के बहसी कार्यक्रमों में और अखबारों में लेखों के जरिये मीडिया की गिरती साख पर चर्चाएं करते हैं, चिंता जताते हैं और बताते हैं कि मीडिया को कैसे काम करना चाहिए। इनमें ऐसे संपादक ज्यादा हैं, जिन्होंने पिछली 20-25 साल के दौरान अखबारों या चैनलों की कमान संभालते हुए मीडिया की पूरी दिशा-दशा बदल दी। इनमें तमाम ऐसे संपादक हैं, जिनके कार्यकाल में पत्रकारों को मीडिया संस्थानों बड़ी संख्या में पत्रकारों को नौकरी से निकाला गया था। उस समय ऐसे संपादकों ने ही पत्रकारों की नौकरी खाने में बड़ी भूमिका निभाई थी। आज ऐसे तमाम बड़े-बड़े संपादक पूर्व होने पर रूदन करने में लगे हुए हैं कि मीडिया को सुधारने की जरूरत है। बात सही है कि मीडिया में आ रही गिरावट में सुधार लाने की जरूरत है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि मीडिया को लेकर चिंता तो जताई जाती है पर असली बीमारी क्या है, उस पर कोई बोलने को तैयार नहीं है। मीडिया में काम करने वाले कर्मचारियों की हालत पर कोई कुछ क्यों नहीं बोलता है। आज मीडिया में काम करने वाले लोगों की हालत सबसे खराब है। मीडिया संस्थानों में काम करने वालों को हर समय यह डर सताता रहता है कि पता नहीं कब तक उनकी नौकरी सुरक्षित है। मीडिया संस्थानों में संपादकों की भूमिका सीमित होती जा रही है, मानव संसाधन और मार्केटिंग विभाग संपादकीय विभाग पर हावी होता जा रहा है। संपादकों की तरफ से पत्रकारों को कई अवसरों पर विज्ञापन लाने के लिए बाध्य किया जाता है। एक तरफ बढ़ते खर्च के कारण पत्रकारों को कम भुगतान किया जाता है तो दूसरी तरफ टीवी चैनल और अखबारों का लगातार विस्तार हो रहा है। टीवी चैनल हो या अखबार, वहां काम करने वाले पत्रकारों पर लगातार दवाब बढ़ता जा रहा है। मीडिया हाउस के कर्मचारियों को हर समय अपने नौकरी जाने का डर सताता रहता है। इसकी बड़ी वजह भी है कि कई बड़े-बड़े मीडिया संस्थानों में बड़ी संख्या में एक की झटके साथ निकाल दिया गया। कहीं कोई आवाज भी नहीं सुनी गई। वेड बोर्ड लागू करने की मांग के कारण हजारों पत्रकारों को अखबारों से निकाल दिया गया। इसके साथ ही बड़े-बड़े मीडिया संस्थानों ने छोटे मीडिया संस्थानों को अपने कब्जे कर लिया। इसके बाद हजारों पत्रकारों को बाहर कर दिया गया। नौकरी दवाब के साथ ही पत्रकारों को रिपोर्टिंग के दौरान भी जूझना पड़ता है। हर साल पत्रकारों पर हमले होते हैं। पत्रकारों की जानें जाती हैं। इस साल ही अभी तक पत्रकारों पर दो सौ से ज्यादा हमलों की घटनाएं हुई हैं। दबावों के कारण पत्रकारों की सेहत पर असर पड़ रहा है। नौकरी के साथ उन्हीं काम के दौरान दूसरे तनाव भी झेलने पड़ते हैं। अपनी नौकरी बचाने के लिए उसे अपनी निष्पक्षता और विश्वसनीयता छोड़नी पड़ती है। ऊपर के आदेश पर खबरों के साथ छेड़छाड की जाती है। इन सबके कारण उपजते तनावों के कारण पत्रकारों की औसत आयु कम होती जा रही है। हम देश मीडिया की गिरती साख पर कितनी भी चर्चा करें, जब तक आम पत्रकारों को नौकरी जाने का भय सताता रहेगा, हम मीडिया में निष्पक्षता और विश्वनीयता की कमी पर रोते ही रहेंगे।

press News

  • एनयूजे का राष्ट्रीय अधिवेशन रांची में

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    रांची। देश भर के पत्रकार आगामी नवंबर माह में रांची में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेंगे। पत्रकारों का यह सम्मेलन नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) की राष्ट्रीय परिषद की बैठक के तहत होगा। यह आयोजन आगामी 25 सें 27 नवंबर तक रांची में होगा। झारखंड यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स का एक दिवसीय सम्मेलन में इसकी तैयारियों पर चर्चा हुई। रांची के दिगंबर

    Intermediat 2 views 2011-09-28
  • एनयूजे.आई. ने पत्रकार वेतनबोर्ड पर सरकारी फैसले का स्वागत किया

    4.5

    नई दिल्ली 25 अक्तूबर.वार्ता. नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट .इंडिया. ने सरकार द्वारा समाचार पत्रों और समाचार एजेंसियों के पत्रकारों और गैर पत्रकारों के लिए मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को आज मंजूरी दिए जाने का स्वागत किया है। ... एन यू जे.आई. के अध्यक्ष प्रग्यानंद चौधरी और महासचिव रासबिहारी ने यहां एक बयान में सरकार द्वारा मजीठिया आयोग की सिफारिशों को स्वीकार करने का तो स्वागत

    Intermediat 3 views 2011-10-25
  • NUJ (I) welcomes Government decision on Wage Board

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    New Delhi: October 25: The National Union of Journalists (India) today welcomed the Government decision to accept the recommendations of the Justice Majithia Wage Boards on the emoluments of working journalists and non-journalists in the newspapers and news agencies. In a statement, issued in New Delhi today, the NUJ (I) president Prajnananda Ch...oudhury and Secretary General Ras Bihari said they welcome

    Intermediat 4 views 2011-10-25
  • Cabinet approves Majithia Wage Boards recommendations

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    New Delhi. In a decision that will benefit more than 40,000 newspaper employees, Union Cabinet today approved the recommendations of the Majithia Wage Boards providing for an increase in the salaries and allowances of journalists and non-journalists. The revised wages will be applicable with effect from July 1, 2010 while the other allowances like Transport, House Rent and Hardship shall be effective from the date of notification of

    Intermediat 5 views 2011-10-25
  • केन्द्रीय मंत्रिमंडल की मजीठिया वेतनबोर्ड की सिफारिशों को मंजूरी

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    केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को समाचार पत्रों एवं संवाद एजेंसियों के पत्रकार एवं गैर पत्रकार कर्मचारियों के वेतनमान में संशोधन संबंधी मजीठिया वेतनबोर्ड की सिफारिशों को मंजूरी दे दी। संशोधित वेतनमान एक जुलाई 2010 से लागू होगा जबकि मकान किराया भत्ता और परिवहन भत्ता सहित अन्य भत्ते अधिसूचना जारी होने के दिन से प्रभावी होंगे। 45 हजार कर्मचारी होंगे लाभांवित प्रधानमंत्री

    Intermediat 6 views 2011-10-27
  • Electronic media should be under Press Council's purview:Katju

    4.5

    NEW DELHI: Press Council chairman Markandey Katju has written to Prime Minister Manmohan Singh suggesting that the electronic media should be brought under its purview and should be given "more teeth". "I have written to the PM that the electronic media should be brought under Press Council and it should be called Media Council and we should be given more

    Intermediat 7 views 2011-10-30
  • LIST OF NATIONAL UNION OF JOURNALISTS (INDIA)

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    NATIONAL UNION OF JOURNALISTS (INDIA) PRESIDENT SHRI PRAGYANANAD CHAUDHURI (Special Correspondent, Anand Bazar Patrika, Kolkata.) 244/1, B.B.Chatterjee Road, Calcutta: 7000 42 Res.:033-24423408, Off: 033-2374880, 22378000 Mb: 09831159968 Email: Prajnananda.Chaudhuri@abp.in SECRETARY GENERAL SHRI RAS BIHARI (Metro Editor, Naidunia, Delhi.) S-612-B, School

    Intermediat 9 views 2011-11-10
  • A law to protect journos is must

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    A law to protect journos is must With rapid expansion of media, pressure on mediapersons too is burgeoning day-by-day. Daily astonishing exposes of corruption and wrongdoings of influential people have escalated the frequency of attacks on journalists by politicians, administrative authorities, police and mafia groups. In fact, mediapersons have been on the target of these forces for long and they skip

    Intermediat 10 views 2011-11-11
  • Notificaiton issued for implementation of Majithia Wage Boards

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    New Delhi, Nov 11.Government today issued the notification for implementation of Majithia Wage Boards‘ recommendations for increase in the salaries and allowances of journalists and non-journalists of newspapers and news agencies. "The Ministry has notified Wage Boards recommendations," a senior Labour ministry official said. The Union Cabinet had on October 25 approved the recommendations which will benefit more than 40,000 employees. The revised wages will be applicable with effect

    Intermediat 12 views 2011-11-11