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उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में समाचार प्रकाशित करने पर पत्रकारों की गिरफ्तारी और फर्जी मुकदमे दर्ज करने
अगस्त 02, 2020 माननीय न्यायमूर्ति चंद्रमौली कुमार प्रसाद अध्यक्ष, भारतीय प्रेस परिषद्, सूचना भवन, नई दिल्ली।
आदरणीय अध्यक्ष जी,
मीडियाकर्मी अपना दायित्व निभाते हुए प्रशासनिक खामियों को सरकार और जनता के सामने लाते हैं ताकि समय रहते हुए सुधार किया जा सके। हैरानी की बात है कि कई जिलों में प्रशासनिक अधिकारी अपनी कमियों को उजागर होने पर मीडियाकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं। मीडियाकर्मियों को समाचार लिखने या दिखाने पर मुकदमा दर्ज किए जा रहे हैं । कई जिलों में पत्रकारों ने अपना विरोध भी दर्ज कराया है। उत्तराखंड में सब कुछ सही नहीं है। हम आपको हाल ही पत्रकारों पर किए गये कुछ फर्जी मुकदमों की जानकारी दे रहें।
उत्तराखंड के पुराने अखबार पर्वतजन के संपादक शिव प्रसाद सेमवाल पर धारा 268, 500, 501, 503 और 504 और साथ ही 120 बी भी लगा दी गई तथा रंगदारी समेत कई मामलों में फर्जी केस दर्ज किये गये हैं। लगभग डेढ़ महीने जेल में रहने के बाद उन्हें जमानत मिली है। सरकार सेमवाल पर फिर से राजद्रोह का मामला दर्ज करने तैयारी कर रही है। यह भी बताया गया है कि देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के धमकाने के बाद सेमवाल पिछले दो सप्ताह से गायब हैं।
पत्रकार राजीव गौड़ ने कोटद्वार में सरकार की खनन नीति को लेकर सवाल उठाए थे। खनन माफिया के बारे में खबरें दिखाने पर राजीव गौड़ पर हमला किया गया। पुलिस ने खनन के पैसे लूटने का केस बना कर गिरफ्तारी के आदेश दिए थे। उनकी कुर्की की मुनादी सरे बाजार करवाई गई। सुप्रीम कोर्ट से ही उन्हें अग्रिम जमानत मिली है।
क्राइम स्टोरी के संपादक राजेश कुमार और पत्रकार उमेश कुमार पर भी प्रदेश सरकार ने एफआईआर दर्ज कराई है। पत्रकार राजेश शर्मा की आधी रात में गिरफ्तारी की गई। मुख्यमंत्री के नजदीकी और पूर्व सलाहकार रहे हरेंद्र रावत द्वारा एक कमजोर सा आधार बनाकर उन्हें गिरफ्तार किया गया। उमेश शर्मा की गिरफ्तारी के लिए अनेक टीम बनाकर दबिश दी जा रही है। पहाड़ टीवी के दीप मैठाणी पर धारा 504, 151 धारा लगा कर फर्जी मुकदमा दर्ज किया गया।
लॉकडाउन के दौरान उत्तराखंड में अगल अलग स्थानों पर पत्रकारों पर फर्जी मुकदमें दर्ज कर उत्तराखंड सरकार बार-बार मीडिया को धमका रही है और पत्रकारों को परेशान कर रही है। पत्रकारों के खिलाफ की गई कार्रवाई से उत्तराखंड में मीडिया की स्वतंत्रता को खतरा है। इस तरह की घटनाओं से मीडिया बिरादरी में नाराजगी बढ़ रही है। आपसे अनुरोध है कि ऐसे मामलों में दखल देते हुए पत्रकारों को न्याय दिलाया जाए। आशा है कि आप हमारे अनुरोध पर राज्य सरकार को निर्देश देकर कि सभी पत्रकारों पर दर्ज फर्जी मुकदमें तुरंत वापस कराने का कष्ट करेंगे।
आशा है आप हमारे अनुरोध पर कार्रवाई करेंगे।
रास बिहारी VIEW / DOWNLOAD PDF FILE ![]() ![]() |
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